Low level languages:-
Low -Level लैंग्वेज को मशीन निर्भर (machine-dependent) प्रोग्रामिंग लैंग्वेज भी कहा जाता है, कंप्यूटर को इंग्लिश, हिंदी, उर्दू जैसी इंसानी भाषाएँ समझ में नहीं आती है इसीलिए अगर कंप्यूटर को हम कोई भी Instructions देना चाहे तो हमे बाइनरी लैंग्वेज का उपयोग करना होगा क्योंकि कंप्यूटर सिर्फ बाइनरी लैंग्वेज (0 और 1) को ही समझ पाता है।
Low Level Language में लिखे हुए प्रोग्राम्स को Run करने के लिए compiler या interpreter की जरुरत नहीं होती है इसलिए Low Level लैंग्वेज में लिखे हुए प्रोग्राम्स को प्रोसेस करने में प्रोसेसर को ज्यादा समय नहीं लगता है और Low Level Language के प्रोग्राम्स जल्दी से RUN हो जाते है।
Low-Level Language को दो भागों में विभाजित किया गया है :
Low level languages:-
Low-level languages are used to write programs that relate to the specific architecture and hardware of a particular type of computer. They are closer to the native language of a computer (binary), making them harder for programmers to understand. Programs written in low-level languages are fast and memory efficient.
Low level languages are further classified in two more categories –
Machine language and Assembly language.